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Q:
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
5मनुष्य का जीवन बहुत सघर्षमय होता है| उसे पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | फिर भी ईश्वर के द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान की निर्मिति इस पृथ्वी पर हुई है मानो धरती का रूप ही बदल गया है। यह संसार कर्म करने वाले मनुष्यों के आधार पर ही टिका हुआ है। देवता भी उनसे ईर्ष्या करते हैं। मनुष्य अपने कर्म बल के कारण श्रेष्ठ है। धन्य है, मनुष्य का जीवन।
Q: उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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- 2कर्मशील देवताfalse
- 3कर्मशील राक्षसfalse
- 4कर्मशील यक्षfalse
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