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Q:
यदि कवि अपने कल्पना-लोक में विचरण न करता, तो
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि अपनी कल्पना के पंखों से इसी विश्व के गीत लेकर अनन्त आकाश में उड़ता है और उन्हें मुक्त व्योम में बिखरा कर अपने भाराक्रान्त हृदय को हल्का कर फिर अपने विश्वनीड़ में लौट आता है। इसी से कवि को विश्राम और स्वास्थ्य मिलता है और स्वस्थ होकर वह नूतन प्रभात में नूतन हृदय में नित्य नूतन संसार का स्वागत करता है। यदि ऐसा न हो तो कवि भी अन्य सांसारिक प्राणियों की भाँति ही, विश्व के कोलाहल में अपने आप को खो दे तथा उसके द्वारा संसार को वे अमृत गीत न मिलें जिनके सरल शीतल स्रोत में बहकर मानव-जगत् अपने सन्तप्त प्राणों को कुछ क्षण जुड़ा लेता है।
Q: यदि कवि अपने कल्पना-लोक में विचरण न करता, तो
- 1वह संसार में अपना अस्तित्व खो बैठताfalse
- 2वह संसार को सुंदर काव्य रचनाएँ न दे पाताfalse
- 3संसार कवि की कविता से वंचित होकर रहने योग्य स्थान न रह जाताtrue
- 4इनमें से कोई नहींfalse
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